एमपीजी कालेज में नेचर गाईड का दस दिवसीय प्रशिक्षण शिविर शुरू।
मसूरी। एमपीजी कालेज में भारत सरकार पर्यटन मंत्रालय की ओर से नेचर गाईड का दस दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। जिसका दीप प्रज्वलित कर उत्तराखंड पर्यटन विभाग की अपर निदेशक पूनम चंद, सिंजल वोहरा, प्रधानाचार्य अनिल चौहान ने किया।
एमपीजी कालेज के बुरांस सभागार में आयोजित नेचर गार्डड प्रशिक्षण शिविर के बारे में जानकारी देते हुए अपर निदेशक पर्यटन उत्तराखंड पूनम चंद ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी के आत्म निर्भर भारत के तहत स्वरोजगार देने के लिए युवाओं को नेचर गाईड का प्रशिक्षण दिया जा रहा है, इसी कड़ी में मसूरी में यहां के 50 युवाओं को नेचर गाईड का दस दिनों तक प्रशिक्षण दिया जायेगा। उन्होंने बताया कि पूरे उत्तराख्ंाड में करीब पांच सौ युवाओं को प्रशिक्षण देंगे। जिसके लिए डेस्टिनेशन का चुनाव किया गया है। ताकि युवा नेचर से जुडने के साथ ही स्वरोजगार कर सकें। उन्होंने कहाकि इससे ये प्रशिक्षित युवक पर्यटकों को यहां के नेचर के बारे में जानकारी दे सकेंगे क्यों कि उत्तराखड में 70 प्रतिशत वन है जो एक वरदान है, इसका उपयोग ईको टूरिज्म के माध्यम से यहां के वनों के पशु पक्षियों, वनस्पतियों, औषधीय प्लांटों, यहां के फूलों सहित अन्य जानकारी पर्यटकों को देकर स्वरोजगार कर सकते हैं। साथ ही पहाड़ों को स्वच्छ रखने के लिए व पहाड़ों पर कूड़ा न फेंकने के लिए भी पर्यटकों को प्रोत्साहित करेंगे। उन्होंने यह भी बताया कि यह कार्यक्रम भारत सरकार के टूरिज्म सेक्टर स्किल कांउसिल के माध्यम से किया जा रहा है जिसमें पांच हजार युवाओं को प्रशिक्षित किया जायेगा, जिसमें चार हजार युवाओं को ढाबे, गेस्ट हाउस आदि के लिए प्रशिक्षित करेंगे वहीं एक हजार हैरिटेज टूरिस्ट गाईड व पांच सौ नेचर गाईड तैयार कर रहे हैं जो अलग अलग क्षेत्र में प्रशिक्षण लेने के बाद स्वरोजगार से जुड़ सकेंगे। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि जबरखेत नेचर पार्क की निदेशक सिंजल वोहरा ने नेचर पार्क के बारे में विस्तार से बताया कि किस तरह से इसे शुरू किया गया व पहले इस पूरे जंगल की सफाई की गई व जंगल में किसी भी प्रकार का सीमेंट का प्रयोग नही किया गया, जंगली जानवरों के लिए प्राकृतिक जल स्रोतो का संरक्षण किया गया व मसूरी से ही युवाओं को प्रशिक्षित कर गाइड बनाया गया और आज बिना किसी प्रचार प्रसार के बड़ी संख्या में प्रकृति प्रेमी नेचर पार्क में आकर यहंा के प्राकृतिक सौंदर्य, वनस्पति, जंगली जानवरों, पक्षियों का आनंद ले रहे हैं। इस मौके पर मुख्य प्रशिक्षक अजय शर्मा ने कहा कि यह प्रशिक्षण नेचर गाईड की है जिसमें नेचर पर्यटन से जुडे जितने भी एलीमंेट है उसमें बच्चों को प्रशिक्षित किया जायेगा ताकि वे इसमे रोजगार की संभावनाओं को तलाश सकें। साथ ही अपने अपने इलाकों गांवों को नेचर पर्यटन डेस्टिनेशन के रूप में विकसित कर सकें। उन्हांेने कहा कि इसमें प्रशिक्षण लेने वालों को बर्ड वाचिंग, यहां के पशु पक्षियों, बटर फलाई, औषधीय पौधों, यहां के पेड़ पौधों की जानकारी, सहित अनेक ऐसी चीजों के बारे में बताया जायेगा जो ईको टूरिज्म के अंदर आते हैं जो इसकी बुनियाद है ताकि वे जानकारी लेकर इसका उपयोग स्वरोजगार के क्षेत्र में कर सकें। इस मौके पर प्रधानाचार्य प्रो. अनिल चौहान, डा. रमेश पाल चौहान, डा. सुनील पंवार, डा. लीपिका वर्मा, डा. शालिनी गुप्ता, डा.इनमान खान, डा. रमेश भारती, डा. शिप्रा शाह, सहित प्रशिक्षण लेने वाले प्रशिक्षु व छात्र मौजूद रहे।